The Final Experiment For Flat Earthers: पृथ्वी असल में चपटी हुई है! ताउम्र ऐसा मानने वाले कुछ मशहूर यूट्यूबर्स को हाल ही में तगड़ा झटका. उन्हें अंटार्कटिका ले जाकर साबित किया गया कि दुनिया असल में गोल है, चपटी नहीं.
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Science News in Hindi: पृथ्वी चपटी हुई है, सदियों तक दुनिया की कुछ प्राचीन सभ्यताएं इस झूठ को सच मानती रहीं. प्राचीन मिस्र, मेसोपोटामिया से लेकर ग्रीक दार्शनिकों ने भी दुनिया को चपटी माना. कई धार्मिक चित्रों में पृथ्वी को चपटी जमीन के रूप में दिखाया गया था, जो स्वर्ग और नर्क के बीच स्थित है. चलो, उस समय तो लोग केवल अपनी आंखों से दिखाई देने वाली पृथ्वी की सतह को देख सकते थे, जो समतल लगती थी. क्षितिज (होराइजन) का सीधा दिखना भी यह विश्वास पैदा करता था कि पृथ्वी चपटी है. उन्हें दुनिया के गोल होने का पता चलता भी तो कैसे. लेकिन, लोगों का एक समूह आज भी इस धारणा को मानता है. ऐसे ही लोगों में मशहूर यूट्यूबर जेरन कैम्पानेला भी एक हैं. हालांकि, उनका और उनके जैसे कई और 'फ्लैट अर्थ बिलीवर्स' तब हक्के-बक्के रह गए जब उन्होंने अपनी आंखों से धरती के गोल होने के सबूत देखे.
अंटार्कटिका में कैसे मिला पृथ्वी के गोल होने का सबूत?
'द फाइनल एक्सपेरिमेंट' नामक प्रोजेक्ट में, गोलाकार पृथ्वी में यकीन न रखने वाले कई जाने-माने लोगों का हृदय परिवर्तन हुआ. कैम्पानेला उनमें से एक हैं. वह कैलिफोर्निया से अपने खर्चे पर अंटार्कटिका पहुंचे हैं. उन्होंने 37 हजार डॉलर (करीब 31 लाख रुपये) खर्च कर डाले हैं. रवानगी से पहले, कैम्पानेला को यकीन था कि अंटार्कटिका बस एक 'बर्फ की दीवार' है जहां बाकी दुनिया की तरह, हर दिन सूरज उगता और डूबता है.
वहां पहुंचने पर, कैम्पानेला को एहसास हुआ कि दक्षिणी गोलार्ध की गर्मियों (सितंबर के अंत से मार्च के अंत तक) के दौरान अंटार्कटिका में सूर्य अस्त नहीं होता. इस घटना को 'मिडनाइट सन' कहा जाता है. इसमें सूर्य आपको पूरे 24 घंटे परिक्रमा करता मालूम होता है.
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खुद अपनी आंखों से देखा तो मान ली गलती
सूर्य को पूरे दिन आकाश में चक्कर लगाता देखने के बाद कैम्पानेला ने एक वीडियो में कहा, 'ठीक है दोस्तों, कभी-कभी, आप जीवन में गलत होते हैं. मुझे लगता था कि 24 घंटे सूरज नहीं रहता. वास्तव में मुझे इस बात का पूरा यकीन था. और यह एक तथ्य है - सूरज दक्षिण दिशा में आपकी परिक्रमा करता है.'
NEW: Flat Earther travels all the way to Antarctica to prove that the Earth is flat only to find out that it's not.
Lmao.
Flat Earth YouTuber Jeran Campanella went on a $35,000 trip to prove that there was "no 24-hour sun."
"Sometimes you are wrong in life and I thought there… pic.twitter.com/8jvLWawB2J
— Collin Rugg (@CollinRugg) December 18, 2024
पिछले तीन साल से कोलोराडो के डेनवर के एक पादरी विल डफी ने 'ग्लोबिस्ट' और 'फ्लैट-अर्थर' यूट्यूब कंटेंट क्रिएटर्स को एक साथ लाने की कोशिश कर रहे थे. ताकि एक ही बार में पृथ्वी को चपटा मानने वालों यानी 'फ्लैट अर्थर्स' का सच से सामना कराया जा सके. उन्होंने 'द फाइनल एक्सपेरिमेंट' नामक एक अभियान की योजना बनाई, जिसमें चार फ्लैट अर्थर्स और चार 'ग्लोब अर्थर्स' को अंटार्कटिका भेजा गया, ताकि वे 'मिडनाइट सन' को देख सकें.
अंटार्कटिका में 24 घंटे रहता है सूरज?
पृथ्वी की धुरी लगभग 23.5 डिग्री झुकी हुई है. दक्षिणी गोलार्ध की गर्मियों के दौरान, दक्षिणी ध्रुव सूर्य की ओर झुका होता है, जिसके कारण अंटार्कटिका में सूर्य 24 घंटे क्षितिज से ऊपर रहता है. यानी अक्टूबर से फरवरी तक, लगातार रोशनी बनी रहती है. यह एक ऐसी घटना है जिसमें सूर्य बिना अस्त हुए आकाश के चारों ओर एक गोलाकार रास्ते पर घूमता हुआ प्रतीत होता है.
दक्षिणी गोलार्ध की सर्दियों (मार्च के अंत से सितंबर के अंत तक) के दौरान, दक्षिणी ध्रुव सूर्य से दूर झुका रहता है, जिसकी वजह से महीनों तक घुप्प अंधेरा रहता है. इसे 'पोलर नाइट' कहा जाता है, जिसमें सूर्य बिल्कुल भी नहीं उगता है.